Strictness is necessary to prevent copying in examinations

परीक्षाओं में नकल रोकने पर सख्ती जरूरी, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा चाहिए

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Strictness is necessary to prevent copying in examinations

Strictness is necessary to prevent copying in examinations उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून के जरिये अब दोषियों को उम्रकैद और 10 करोड़ रुपये जुर्माना तक की सजा सुनिश्चित की गई है। इस कानून की जरूरत पर देशभर में चर्चा जारी है। यह भी कहा गया है कि आखिर इतनी सख्त सजा के प्रावधान की क्या जरूरत है।

हालांकि देशभर में परीक्षाओं के दौरान नकल Cheating during examinations across the country के जैसे मामले सामने आ रहे हैं, वे चिंताजनक हैं और इसकी जरूरत पर बल देते हैं कि सरकार ऐसा कानून लेकर आए जिससे नकल कराने वाले और करने वालों के हौसले पस्त हो जाएं। गौरतलब है कि राज्य सरकारों की यह चिंता बढ़ती जा रही है कि परीक्षाओं को नकल मुक्त कैसे कराया जाए। हरियाणा में प्रत्येक वर्ष 10 वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के दौरान स्कूलों में परीक्षा केंद्रों के आसपास उन लोगों की भीड़ जमा रहती है जोकि अपने बच्चों की नकल कराने के लिए प्रश्नों के जवाब बनाकर उन्हें अंदर फेंकते हैं। हालांकि शिक्षा बोर्ड की ओर से नकल की रोकथाम के तमाम जत्न किए जाते हैं, लेकिन फिर भी इस बुराई का अंत नहीं हो पाता।

दरअसल, एक-दो मामले हैं, जिनकी वजह से अब यह सवाल और गहरा गया है कि आखिर परीक्षाओं में नकल को कैसे रोका जाए। हरियाणा की तमाम सरकारी नौकरियों में परीक्षार्थियों को ऐसे साधनों का इस्तेमाल करते हुए पकड़ा जा चुका है, जब वे किसी गिरोह से साठगांठ करके अनुचित साधनों का इस्तेमाल कर रहे थे। अब केंद्रीय विद्यालय संगठन की टीजीटी की अमृतसर में हो रही ऑनलाइन परीक्षा के दौरान पेपर सॉल्व करवा रहे पांच युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर यह साबित कर दिया है कि न नकल करने वाले बाज आएंगे और न ही उनके कारनामे भी छिप सकेंगे। आरोपी हरियाणा के समालखा में बैठकर आईडी के माध्यम से परीक्षार्थी का कंप्यूटर रिमोट पर लेकर उसे खोल लेते थे और पेपर सॉल्व करके बंद कर देते थे। अब पुलिस की जांच में सामने आ रहा है कि अमृतसर की जिस लैब में परीक्षा थी, उसमें हरियाणा के परीक्षार्थी ही थे। यह भी खुलासा हो रहा है कि आरोपी वही सेंटर चुनते थे, जिसकी लैब से सेटिंग होती है। यह भी कितना हैरतनाक है कि हरियाणा में एक महिला कांस्टेबल और उसके पति ने भी सॉल्वर गैंग से सेटिंग की हुई थी। इसका मतलब यह है कि कानून के रखवाले ही कानून की धज्जियां उड़ाने में लगे हुए हैं।

परीक्षाओं में जालसाजी करके कामयाबी हासिल करना अपने आप में बड़ा घोटाला बन गया है। कुछ पदों के लिए हजारों की संख्या में युवा आवेदन करते हंै, लेकिन उनमें से कुछ ही सफल हो पाते हैं। क्या यह माना जाए कि ज्यादातर परीक्षाओं पाक-साफ तरीके से पूरी कर ली जाती हैं। हालांकि इसके आरोप तो सामान्य बात है कि किसी न किसी स्तर पर रिश्वत देनी ही पड़ती है। परीक्षा में पास कराने के नाम पर या फिर साक्षात्कार के नाम पर या फिर मेडिकल के नाम पर। हालांकि आजकल परीक्षाएं जितनी टफ होने लगी हैं, उससे नकल के मामले भी बढ़ रहे हैं।

चंडीगढ़ में पिछले दिनों एसआई की परीक्षा में कुछ पद ही भरे जा सके हैं, बाकी सैकड़ों पद खाली रह गए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि परीक्षा बेहद टफ थी, जिसे अभ्यर्थी पास नहीं कर सके। इसी प्रकार हरियाणा में भी कृषि अधिकारियों की परीक्षा काफी मुश्किल रखी गई थी, जिसमें परीक्षार्थी सफल नहीं हो सके। वैसे यह दो मामले हो जाते हैं, एक परीक्षा का बेहद टफ होना और दूसरा उसमें नकल होना। अगर किसी ने तैयारी ही नहीं की है तो आसान प्रश्न भी उसके लिए मुश्किल ही होंगे, ऐसे में उनकी तलाश ऐसे पेपर सॉल्वर के पास जाकर ही खत्म होती है, जोकि मोटी रकम के बदले पेपर सॉल्व करवा कर पास कराने का ठेका लेते हैं।

 इस बीच परीक्षाओं में सख्ती की जरूरत और बढ़ गई है। उत्तर प्रदेश में भी 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। इनमें नकल रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया है। सरकारी आदेश के मुताबिक, नकल करने और कराने वालों को तीन महीने तक बिना आरोप तय किए हिरासत में रखा जा सकता है। वहीं, परीक्षा में बाधा डालने या व्यवस्था को प्रभावित करने वालों पर गैंगस्टर एक्ट लगाकर उनकी संपत्ति कुर्क किए जाने की भी बात कही गई है।

हालांकि इतने सख्त आदेश की आलोचना भी हो रही है। लेकिन उन युवाओं जोकि सख्त मेहनत करते हैं, की मेहनत जब किसी नकल करने वाले युवा के कारनामे से व्यर्थ हो जाती है तो ऐसी सख्ती की जरूरत सामने आती है। चाहे वह उत्तराखंड हो या फिर उत्तर प्रदेश नकल विरोधी कानून लागू करना अब जरूरी हो गया है। हरियाणा समेत तमाम राज्यों को परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए सख्ती से कानून और नियमों को लागू करना चाहिए। प्रतियोगिता का मतलब स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए, जो काबिल होगा वह जीतेगा।

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